हेल्थ Archives - Ranvara News Portal https://ranvara.com/health/ उत्तराखंड के मुख्य समाचार Tue, 22 Apr 2025 07:31:11 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 फैटी लीवर: लक्षणहीन लेकिन खतरनाक बीमारी https://ranvara.com/uttarakhand/fatty-liver-a-symptomless-but-dangerous-disease/ https://ranvara.com/uttarakhand/fatty-liver-a-symptomless-but-dangerous-disease/#respond Tue, 22 Apr 2025 07:31:11 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92605 विश्व लिवर दिवस पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने फैटी लिवर के लक्षण, कारण, निदान और उपचार के बारे में लोगों को जागरुक किया। फैटी लिवर, जिसे मेडिकल भाषा में हिपैटिक स्टीटोसिस कहा जाता है, आज के दौर में तेजी से फैल रही बीमारियों में से एक है. लगभग हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर की […]

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विश्व लिवर दिवस पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने फैटी लिवर के लक्षण, कारण, निदान और उपचार के बारे में लोगों को जागरुक किया।

फैटी लिवर, जिसे मेडिकल भाषा में हिपैटिक स्टीटोसिस कहा जाता है, आज के दौर में तेजी से फैल रही बीमारियों में से एक है. लगभग हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर की किसी न किसी अवस्था से प्रभावित है। , यह चिंता का विषय है यह बीमारी प्रारंभिक अवस्था में बिना किसी लक्षण के शरीर में विकसित होती है और यदि समय रहते इसका निदान और इलाज न हो तो यह लिवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस और यहां तक कि लिवर कैंसर तक का रूप ले सकती है।

डॉ. अभिजीत भावसार, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अनुसार, फैटी लीवर या स्टीटोसिस एक गंभीर समस्या है, जिसमें लीवर की कोशिकाओं में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है। यह स्थिति लीवर की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है और समय के साथ सूजन, सिरोसिस या लीवर कैंसर जैसी जटिल बीमारियों का कारण बन सकती है।

फैटी लीवर दो प्रकार का होता है – अल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज़ (AFLD) और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज़ (NAFLD)। पहला अत्यधिक शराब के सेवन से होता है, जबकि दूसरा मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज़, हाई ट्राइग्लिसराइड्स, कुछ दवाओं, वायरल संक्रमण, कुपोषण या आनुवंशिक कारणों से हो सकता है।

चिंता की बात यह है कि शुरुआती अवस्था में इसके कोई लक्षण नहीं होते। इसलिए समय रहते जांच और जीवनशैली में बदलाव जरूरी है, ताकि यह बीमारी आगे बढ़कर गंभीर रूप न ले।

डॉ. अभिजीत भावसार के अनुसार, फैटी लीवर को “साइलेंट डिज़ीज़” कहा जाता है क्योंकि इसकी शुरुआती अवस्था में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते। अधिकतर मामलों में इसकी पहचान तब होती है जब किसी अन्य कारण से जांच कराई जाती है।

जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, कुछ लक्षण उभरने लगते हैं—जैसे लगातार थकान, कमजोरी, पेट के ऊपरी दाएँ हिस्से में हल्का दर्द या असहजता। कुछ लोगों को भूख में कमी, वजन घटने, भ्रम या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी भी हो सकती है।

यदि स्थिति गंभीर हो जाए (जैसे NASH या सिरोसिस), तो पीलिया, पैरों और पेट में सूजन, और त्वचा पर खुजली जैसे लक्षण सामने आते हैं। ऐसे में किसी भी लंबे समय तक चल रही थकान या पेट से जुड़ी परेशानी को नजरअंदाज न कर, चिकित्सकीय सलाह लेना जरूरी होता है।

फैटी लीवर का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि यह स्थिति कितनी गंभीर है और उसके पीछे क्या कारण हैं। यदि बीमारी प्रारंभिक अवस्था में है, तो जीवनशैली में सुधार सबसे प्रभावी उपचार माना जाता है। वजन घटाना, संतुलित और पौष्टिक आहार लेना, तथा नियमित रूप से व्यायाम करना लीवर में जमा अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने शरीर के वजन का मात्र 5 से 10 प्रतिशत भी कम कर ले, तो लीवर की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा जा सकता है।

Reported By: Arun Sharma

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एम्स ऋषिकेश में पैर की नसों के इलाज में नई तकनीक की सफलता https://ranvara.com/uttarakhand/success-of-new-technology-in-treatment-of-leg-veins-in-aiims-rishikesh/ https://ranvara.com/uttarakhand/success-of-new-technology-in-treatment-of-leg-veins-in-aiims-rishikesh/#respond Mon, 21 Apr 2025 10:54:59 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92501 एम्स ऋषिकेश ने मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की है। संस्थान के रेडियोलॉजी विभाग ने पहली बार ‘सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी (एसएफए) एथेरेक्टोमी’ प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। यह तकनीक पैर की सबसे बड़ी धमनी में ब्लॉकेज का इलाज बिना बायपास सर्जरी और स्टंट के करती है। पैरों में रक्त का प्रवाह […]

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एम्स ऋषिकेश ने मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की है। संस्थान के रेडियोलॉजी विभाग ने पहली बार ‘सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी (एसएफए) एथेरेक्टोमी’ प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। यह तकनीक पैर की सबसे बड़ी धमनी में ब्लॉकेज का इलाज बिना बायपास सर्जरी और स्टंट के करती है।

पैरों में रक्त का प्रवाह कम होने पर अब फीमोरल धमनी (जांघ की सबसे बड़ी रक्त वाहिका) में ब्लाॅकेज की समस्या का एथेरेक्टाॅमी तकनीक से इलाज किया जा सकेगा। एम्स ऋषिकेश के रेडियोलाॅजी विभाग ने हाल ही में इस प्रक्रिया को सफलता पूर्वक संपन्न कर एक नई उपलब्धि हासिल की है। मेडिकल साईंस की यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें बाईपास सर्जरी करने से बचा जा सकता है और साथ ही रक्त वाहिका में स्टंट डालने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। इस प्रक्रिया से इलाज करने वाला एम्स ऋषिकेश देश के नव स्थापित एम्स संस्थानों में पहला एम्स है।

यह प्रक्रिया हाल ही में एक 68 वर्षीय मरीज पर की गई, जिसे ब्लॉकेज के चलते चलने में परेशानी हो रही थी और उसके पैर का रंग भी काला पड़ गया था। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. उदित चौहान ने बताया कि यह एक न्यूनतम इनवेसिव तकनीक है जो एथेरोस्क्लेरोटिक प्लाक को हटाकर रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है।

’’हमारे चिकित्सकों द्वारा इस प्रक्रिया का सफल निष्पादन करना, उन्नत चिकित्सा तकनीकों को अपनाने और रोगियों को अत्याधुनिक उपचार प्रदान करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। एसएफए एथेरेक्टॉमी की शुरुआत करके एम्स ऋषिकेश ने, न केवल अपनी इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी क्षमताओं को बढ़ाया है अपितु अन्य नए एम्स संस्थानों के सम्मुख एक मिसाल भी कायम की है। चिकित्सा देखभाल में नवाचार और उत्कृष्टता के माध्यम से रोगी परिणामों में सुधार के लिए यह उपलब्धि एम्स ऋषिकेश की प्रतिबद्धता साबित करती है।’’
——- प्रो0 मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश।

Reported By: Arun Sharma

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उच्च जोखिम गर्भावस्था को चिन्हित करने के निर्देश https://ranvara.com/uttarakhand/guidelines-for-identifying-high-risk-pregnancies/ https://ranvara.com/uttarakhand/guidelines-for-identifying-high-risk-pregnancies/#respond Mon, 21 Apr 2025 07:06:28 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92484 गर्भवती महिलाओं के मृत्यु दर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उच्च जोखिम गर्भावस्था यानी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को चिन्हित करने पर काम कर रहा है जिसे लेकर देहरादून के सीएमओ डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने कुछ समय पहले जिला स्तरीय बैठक ली। इस बात पर डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि […]

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गर्भवती महिलाओं के मृत्यु दर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उच्च जोखिम गर्भावस्था यानी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को चिन्हित करने पर काम कर रहा है जिसे लेकर देहरादून के सीएमओ डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने कुछ समय पहले जिला स्तरीय बैठक ली। इस बात पर डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की पहचान करने के लिए हमने सभी ब्लॉक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी एएनएम सेंटरों में ग्लूकोमीटर के साथ सभी जरूरी उपकरण और पेशाब की जांच की व्यवस्था रखें।

साथ ही उन्होंने कहा कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के 10 मुख्य बिंदुओं को स्वास्थ्य केंद्रों में जनता को दिखाने के निर्देश दिए गए हैं जिससे सही समय पर गर्भवती महिलाओं का चेकअप हो पायेगा।

डॉ. मनोज कुमार शर्मा, सी.एम.ओ देहरादून

 

Reported By: Arun Sharma

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एम्स ऋषिकेश में ARCSIM 2025 सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न https://ranvara.com/uttarakhand/arcsim-2025-conference-concluded-successfully-at-aiims-rishikesh/ https://ranvara.com/uttarakhand/arcsim-2025-conference-concluded-successfully-at-aiims-rishikesh/#respond Sat, 19 Apr 2025 12:11:55 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92442 ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में तीन दिवसीय सिमुलेशन पर आधारित चिकित्सा सम्मेलन ‘ARCSIM 2025’ सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। सम्मेलन में देश-विदेश से आए 310 प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने चिकित्सा सिमुलेशन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और रोगी सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा की। सम्मेलन के दौरान म्यूलेज, रोबोटिक-लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, प्रसूति-अल्ट्रासाउंड, मैकेनिकल वेंटिलेशन, […]

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ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में तीन दिवसीय सिमुलेशन पर आधारित चिकित्सा सम्मेलन ‘ARCSIM 2025’ सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। सम्मेलन में देश-विदेश से आए 310 प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने चिकित्सा सिमुलेशन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और रोगी सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा की।

सम्मेलन के दौरान म्यूलेज, रोबोटिक-लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, प्रसूति-अल्ट्रासाउंड, मैकेनिकल वेंटिलेशन, आपदा प्रबंधन एवं गेमिफिकेशन जैसे विषयों पर व्यावहारिक कार्यशालाएं आयोजित की गईं। प्रतिभागियों को यथार्थपरक प्रशिक्षण देने के लिए हाई-फिडेलिटी सिमुलेटर्स का प्रयोग किया गया।

कार्यशाला में प्रतिभागियों को म्यूलेज की कला से परिचय कराया गया। बताया गया कि इसके तहत यथार्थपरक घावों, जलन एवं ट्रॉमा इफेक्ट्स का निर्माण किया जाता है,ताकि सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण को अधिक वास्तविक एवं प्रभावशाली बनाया जा सके।
साथ ही एक नई शुरुआत की स्कैनिंग: प्रसूति-अल्ट्रासाउंड सिमुलेशन कार्यशाला में प्रतिभागियों को प्रसूति अल्ट्रासाउंड में व्यवहारिक प्रशिक्षण का अवसर दिया गया, जिसमें मुख्यरूप से प्रथम और द्वितीय तिमाही पर ध्यान केंद्रित किया।

आपदा स्थितियों में प्रतिक्रिया रणनीतियां, दृष्टिकोण और क्रियाएं: वास्तविक परिदृश्य पर आधारित सिमुलेशन सजीव अनुभवात्मक कार्यशाला में वास्तविक जीवन की आपदा स्थितियों जैसे जनहानि की घटनाएं, रासायनिक रिसाव तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों का सिमुलेशन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों को उच्च तीव्रता वाले अभ्यासों में भाग लिया व त्रैज (Triage) की प्रक्रिया के साथ ही अराजक परिस्थितियों में संगठित प्रतिक्रिया रणनीतियों को अपनाने का प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा को अधिक प्रभावशाली और व्यवहारिक बनाने की दिशा में सिमुलेशन की भूमिका को रेखांकित किया गया। एम्स प्रशासन ने इसे मेडिकल ट्रेनिंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

Reported By: Arun Sharma

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श्यामपुर में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, 114 मरीजों की जांच https://ranvara.com/uttarakhand/free-health-camp-in-shyampur-114-patients-examined/ https://ranvara.com/uttarakhand/free-health-camp-in-shyampur-114-patients-examined/#respond Sat, 19 Apr 2025 12:03:45 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92436 डोईवाला- हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र गौहरीमाफी रायवाला की ओर से श्यामपुर में निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किया गया। स्वास्थ्य जांच शिविर में करीब 114 रोगियों ने परामर्श प्राप्त किया। स्वामी राम हिमालयन विश्ववविद्यालय (एसआरएचयू) में संस्थापित हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की ओर से श्यामपुर […]

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डोईवाला- हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र गौहरीमाफी रायवाला की ओर से श्यामपुर में निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किया गया। स्वास्थ्य जांच शिविर में करीब 114 रोगियों ने परामर्श प्राप्त किया।

स्वामी राम हिमालयन विश्ववविद्यालय (एसआरएचयू) में संस्थापित हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की ओर से श्यामपुर बारात घर में निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किया गया। शिविर में कम्युनिटी मेडिसिन से डॉ. अभय श्रीवास्तव व डॉ. नेहा शर्मा, डेंटल सर्जरी से डॉ. रेनू परमार, नेत्र रोग से डॉ. शीताभ शर्मा, स्त्री रोग विभाग से डॉ. प्रज्ञा, जनरल मेडिसिन से डॉ. तन्वी नागपाल, बाल रोग विभाग से डॉ. सना गुप्ता, त्वचा रोग विभाग से डॉ. रश्मि जिंदल, हड्डी रोग विभाग से डॉ. नितेश गर्ग ने स्वास्थ्य शिविर में आए करीब 114 रोगियों को स्वास्थ्य परामर्श दिया। शिविर में आए रोगियों का पंजीकरण सहित शुगर, बीपी, हिमाग्लोबिन सहित विभिन्न जांचें व दवा निशुल्क प्रदान की गयी।शिविर की खासियत रही कि फैमिली एडोपशन प्रोग्राम के तहत एमबीबीएस छात्र-छात्राएं भी ग्रामीणों को स्वास्थ्य शिविर में लेकर आए।

 

Reported By: Arun Sharma

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डेंगू-मलेरिया की रोकथाम को लेकर डीएम सविन बंसल की सख्ती https://ranvara.com/uttarakhand/dm-savin-bansal-is-strict-about-prevention-of-dengue-and-malaria/ https://ranvara.com/uttarakhand/dm-savin-bansal-is-strict-about-prevention-of-dengue-and-malaria/#respond Sat, 19 Apr 2025 08:31:10 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92408 राजधानी देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार, कलेक्ट्रेट परिसर में रेखीय विभाग, नगर निगम, स्वास्थ्य, सहित अन्य संबंधित विभागों एवं आला अधिकारियों के साथ जनपद में डेंगू /मलेरिया से बचाव एवं रोकथाम संबंधी समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में आने वाले समय में डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियों के रोकथाम […]

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राजधानी देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार, कलेक्ट्रेट परिसर में रेखीय विभाग, नगर निगम, स्वास्थ्य, सहित अन्य संबंधित विभागों एवं आला अधिकारियों के साथ जनपद में डेंगू /मलेरिया से बचाव एवं रोकथाम संबंधी समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में आने वाले समय में डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियों के रोकथाम के लिए कारगर कदम उठाने के लिए जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि मुख्यमंत्री का निर्देश है की इन बीमारियों को रोकने के लिए जो प्राथमिक उपाय हैं उन्हें दुरुस्त किया जाए इसके अंतर्गत कीटनाशक और फॉगिंग का नियमित रूप से छिड़काव किया जाए। साथ ही नालियों की सफाई और जल भराव से निपटने के लिए कारगर कदम उठाए जाएं।

जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि उन्होंने अस्पतालों को भी सख्त निर्देश दे रखे हैं की इन बीमारियों के उपचार के लिए अस्पताल में पूरी व्यवस्था की जाए।

 

 

 

सविन बंसल, जिलाधिकारी देहरादून

 

Reported By: Shiv Narayan 

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एम्स परिसर में आयुष विभाग ने बनाया अनूठा उद्यान https://ranvara.com/uttarakhand/ayush-department-created-a-unique-garden-in-aiims-campus/ https://ranvara.com/uttarakhand/ayush-department-created-a-unique-garden-in-aiims-campus/#respond Thu, 17 Apr 2025 11:59:17 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92286 एम्स ऋषिकेश में अब आयुष पद्धति से उपचार करवाने के इच्छुक लोग एक नई पहल के तहत लाभान्वित हो सकेंगे। संस्थान के आयुष विभाग परिसर में ‘आयुष एकीकृत स्वास्थ्य पथ’ तैयार किया गया है, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संयुक्त रूप से उद्घाटित किया। यह पथ तीन विशिष्ट […]

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एम्स ऋषिकेश में अब आयुष पद्धति से उपचार करवाने के इच्छुक लोग एक नई पहल के तहत लाभान्वित हो सकेंगे। संस्थान के आयुष विभाग परिसर में ‘आयुष एकीकृत स्वास्थ्य पथ’ तैयार किया गया है, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संयुक्त रूप से उद्घाटित किया।

यह पथ तीन विशिष्ट अवधारणाओं—पंचतत्व उद्यान, नवग्रह वन और राशि वाटिका—पर आधारित है। यह नवाचार पारंपरिक वैदिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का समन्वय कर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।

एम्स के अनुसार, यह पहल समग्र स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी होगी और आयुष चिकित्सा पद्धति में रुचि रखने वाले लोगों को एक नया अनुभव प्रदान करेगी।

एम्स ऋषिकेश के आयुष विभाग द्वारा निर्मित ‘आयुष एकीकृत स्वास्थ्य पथ’ अब लोगों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का अनूठा अनुभव प्रदान करेगा। इस पथ में ‘पंचतत्व उद्यान’ के माध्यम से पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जैसे पांच मौलिक तत्वों से जुड़ाव कराया गया है, जिससे हृदय स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रणाली और शारीरिक संतुलन में सुधार होता है।

इसमें ‘नवग्रह वाटिका’ और ‘राशि वाटिका’ भी शामिल हैं, जहां वैदिक ज्योतिष से जुड़ी ऊर्जा प्रदान करने वाले पौधों को लगाया गया है। यह ध्यान, चिंतन और सकारात्मक ऊर्जा के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं। वहीं ‘अनंत पथ’ नामक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया वाॅकिंग ट्रैक न्यूरोमस्कुलर समन्वय और मानसिक सक्रियता को बढ़ावा देता है।

यह अभिनव पथ पारंपरिक आयुष सिद्धांतों और आधुनिक चिकित्सा को एक साथ जोड़ते हुए समग्र स्वास्थ्य के लिए एक नई पहल है।

’’आयुष एकीकृत स्वास्थ्य पथ’ प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच एक सेतु का काम करेगा। संस्थान की यह अभूतपूर्व पहल प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक प्रथाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद करेगी। यह समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
———- प्रो0 मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश।

Reported By: Arun Sharma

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स्वास्थ्य विभाग को मिले 34 एक्स-रे टेक्नीशियन https://ranvara.com/uttarakhand/health-department-gets-34-x-ray-technicians/ https://ranvara.com/uttarakhand/health-department-gets-34-x-ray-technicians/#respond Thu, 17 Apr 2025 09:54:06 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92263 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को 34 नये एक्स-रे टैक्नीशियन मिल गये हैं। राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड से चयनित इन सभी एक्स-रे टैक्नीशियन को प्रदेश के पर्वतीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों के विभिन्न चिकित्सा इकाईयों में तैनाती दी जायेगी। जिससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक सुदृढ़ हो सकेंगी। इसके अलावा चयन बोर्ड ने […]

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को 34 नये एक्स-रे टैक्नीशियन मिल गये हैं। राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड से चयनित इन सभी एक्स-रे टैक्नीशियन को प्रदेश के पर्वतीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों के विभिन्न चिकित्सा इकाईयों में तैनाती दी जायेगी। जिससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक सुदृढ़ हो सकेंगी। इसके अलावा चयन बोर्ड ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत 31 नर्सिंग ट्यूटर तथा 7 सोशल वर्कर के पदों पर भी भर्ती परिणाम घोषित कर दिये हैं। इनकी नियुक्ति राज्य के विभिन्न राजकीय नर्सिंग कॉलेजों व मेडिकल कॉलेजों में की जायेगी।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रभारी महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की सक्रियता एवं निरंतर समीक्षा का प्रतिफल है कि विभाग में लम्बे समय से रिक्त पड़े पदों पर समयबद्ध तरीके से भर्ती आयोजित की जा रही है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को 34 एक्स-रे टैक्नीशियन का अधियाचन भेजा गया था, जिसके क्रम में चयन बोर्ड द्वारा भर्ती का अंतिम चयन परिणाम जारी कर दिया गया है। इन सभी चयनित एक्स-रे टैक्नीशियनों को शीघ्र ही पर्वतीय एवं दुर्गम क्षेत्र के चिकित्सालयों में प्रथम तैनाती दी जायेगी।

उन्होंने बताया कि एक्स-रे टेक्नीशियन की नियुक्ति से जहां चिकित्सा इकाईयों में एक्स-रे, अल्ट्रासाउण्ड व सीटी स्कैन जैसी महत्वपूर्ण जांच सेवाओं में सुधार होगा वहीं मरीजों को समय पर जांच रिपोर्ट भी मिल सकेगी। जिससे उन्हें निजी डायग्नोस्टिक सेंटर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड द्वारा एक्स-रे टैक्नीशियन के अलावा चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजकीय नर्सिंग कॉलेजों के 31 नर्सिंग ट्यूटर तथा राजकीय मेडिकल कॉलेजों के 7 मेडिकल सोशल वर्कर के पदों का भी चयन परिणाम जारी कर दिया गया है। विभागीय निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना के बताया कि नर्सिंग ट्यूटर मिलने से नर्सिंग कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर होगी, जिससे कॉलेजों में शैक्षणिक गतिविधियों में तेजी आयेगी। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही चयनित नर्सिंग ट्यूटरों को विभिन्न कॉलेजों तैनाती दी जायेगी। इसके साथ ही मेडिकल सोशल वर्कर को भी विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में नियुक्ति दी जायेगी।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में विभिन्न संवर्गों के 72 पदों पर राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड ने भर्ती परिणाम जारी कर दिया है। जिसमें एक्स-रे टैक्नीशियन के 34, नर्सिंग ट्यूटर 31 तथा मेडिकल सोशल वर्कर के 7 पद शामिल है। सभी चयनित अभ्यर्थियों शीघ्र तैनाती दी जायेगी। – डॉ. धन सिंह रावत, चिकित्सा स्वास्थ्य एंव चिकित्सा शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड।

 

Reported By: Arun Sharma

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एम्स ऋषिकेश में एआरसीसिम 2025 सम्मेलन का शुभारंभ https://ranvara.com/uttarakhand/arcsym-2025-conference-inaugurated-at-aiims-rishikesh/ https://ranvara.com/uttarakhand/arcsym-2025-conference-inaugurated-at-aiims-rishikesh/#respond Thu, 17 Apr 2025 06:24:40 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92230 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश के तत्वावधान में तीन दिवसीय सिमुलेशन पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन एआरसीसिम 2025 का विधिवत शुभारंभ हो गया है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा सिमुलेशन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों व विधियों की जानकारी साझा करना तथा स्वास्थ्य शिक्षा और रोगी सुरक्षा में इसके योगदान को रेखांकित करना है। […]

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश के तत्वावधान में तीन दिवसीय सिमुलेशन पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन एआरसीसिम 2025 का विधिवत शुभारंभ हो गया है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा सिमुलेशन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों व विधियों की जानकारी साझा करना तथा स्वास्थ्य शिक्षा और रोगी सुरक्षा में इसके योगदान को रेखांकित करना है।

सम्मेलन की थीम “चिकित्सा सिमुलेशन में तकनीक और विधियों का अनुकूलन” रखी गई है। इसमें देश-विदेश से चिकित्सा विशेषज्ञ, शिक्षक व स्वास्थ्य पेशेवर भाग ले रहे हैं।

कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह और डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बताया कि सिमुलेशन तकनीक स्वास्थ्यकर्मियों को जोखिम रहित माहौल में प्रशिक्षण देने का सशक्त माध्यम है, जिससे रोगी सुरक्षा बेहतर होती है।

सम्मेलन के पहले दिन कई अहम वर्कशॉप आयोजित हुईं, जिनमें शामिल हैं:

  • सिमस्कैन पॉइंट ऑफ केयर अल्ट्रासाउंड – अल्ट्रासाउंड तकनीक के व्यावहारिक कौशल पर केंद्रित।

  • पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर वर्कशॉप – बच्चों में आपातकालीन स्थितियों का सुरक्षित अभ्यास।

  • क्लेफ्ट लिप एंड पैलेट सर्जिकल सिमुलेशन – जटिल सर्जरी तकनीकों का प्रशिक्षण।

  • क्राइसिस रिसोर्स मैनेजमेंट – उच्च दबाव वाली स्थितियों में टीमवर्क और निर्णय क्षमता का विकास।

  • स्क्रिप्ट टू सिम्पटम्स – स्टैण्डर्डाइज्ड पेशेंट मॉडल के माध्यम से यथार्थवादी प्रशिक्षण।

इस सम्मेलन का आयोजन एम्स ऋषिकेश के एडवांस्ड सेंटर ऑफ कंटीन्यूअस प्रोफेशनल डेवलपमेंट द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्देश्य चिकित्सा व नर्सिंग छात्रों को सशक्त बनाना और उन्हें रोगी देखभाल में उत्कृष्टता के लिए तैयार करना है।

Reported By: Arun Sharma

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चारधाम यात्रा से पहले मेडिकल ऑफिसरों को विशेष ट्रैनिंग https://ranvara.com/uttarakhand/special-training-for-medical-officers-before-chardham-yatra/ https://ranvara.com/uttarakhand/special-training-for-medical-officers-before-chardham-yatra/#respond Thu, 17 Apr 2025 06:18:33 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92226 श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा मार्गों पर सेवाएं देने वाले मेडिकल ऑफिसरों को हाई एल्टीट्यूड में चिकित्सा सेवा देने की विशेष ट्रैनिंग दी जा रही है। यह प्रशिक्षण वरिष्ठ डॉक्टरों की निगरानी में आयोजित किया जा रहा है ताकि यात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। ट्रैनिंग में उच्च स्थानों पर होने […]

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श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा मार्गों पर सेवाएं देने वाले मेडिकल ऑफिसरों को हाई एल्टीट्यूड में चिकित्सा सेवा देने की विशेष ट्रैनिंग दी जा रही है। यह प्रशिक्षण वरिष्ठ डॉक्टरों की निगरानी में आयोजित किया जा रहा है ताकि यात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। ट्रैनिंग में उच्च स्थानों पर होने वाली बीमारियां जैसे एक्यूट माउंटेन सिकनेस, पल्मोनरी एडिमा, सेरेब्रल एडिमा, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक आदि के इलाज की जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा CPR, इंट्यूबेशन, एयर एम्बुलेंस प्रबंधन और दवा वितरण से संबंधित महत्वपूर्ण प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। यह पहल चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देशन में संचालित की जा रही है।

 

देश के विभिन्न हिस्सों से चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों की सेहत का विशेष ख्याल रखा जाए इसके मद्देनजर इस बार श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में यात्रा मार्गो पर चिकित्सा सेवाएं देने वाले डॉक्टरों एवं नर्सिंग अधिकारियों को विशेष ट्रैनिंग दी जा रही है। ताकि हाई एल्टीट्यूड में यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत हो तो उससे तत्काल बेहतर चिकित्सा सेवा देकर सामान्य स्थिति में लाया जा सके। सभी ट्रैनिंग लेने वालों से उम्मीद रहेगी कि वह ट्रैनिंग लेकर यात्रा काल के दौरान बेहतर चिकित्सा सेवा देकर यात्रियों का मनोबल बढ़ाये। — डॉ. धन सिंह रावत, मा. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।”

 

Reported By: Arun Sharma

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